ऐ साथी मेरे बता दे तू क्यों प्रेम दिखावा करता है जब दर्द नहीं है तेरे मैले मन में तों आँखे क्यों नम करता है जब भाती नहीं बाते मेरी तो होंटो से क्यों खिलता है जब साथ गवारा नही है मेरा तो क्यों साथ का दावा करता है जब सावन सूना लगता है मेरा तो साथ में क्यों भीगा करता है जब दिन भी अँधेरा लगता है तो क्यों गलियां रोशन करता है ऐ साथी मेरे बता दे तू क्यों प्रेम दिखावा करता है जब खोता है मेरे होने से तो पाने की क्यों हसरत करता है क्यों रहूँ मैं तेरी बातो में जब तो कही और ही रहता है क्यों बँधु मै तेरे वादों से जब तू मुह ही मोड़ा करता है ऐ साथी मेरे बता दे तू क्यों प्रेम दिखावा करता है (अनुभव 'अनंत') #अधूराप्रेम