मुमकिन तो है सबकुछ मगर होता कहां है। बरसात खुद ही बादल भिगोता कहां है...💘 सारे जहान को खुशियां देने वाला मुकद्दर, कभी अपनी रूठी किस्मत पर रोता कहां है...💘 अपनों को सहेजते हुए तमाम उम्र गुजार दी, अब बो धागा बिखरे मोती पिरोता कहां है...💘