सुना हैं वो दर दर भटक रहा हैं, वो शख्स मुझे पेशे से अखबार लगता हैं। चेहरे पे हंसी और आंखों में उदासी लिए, वो मुझे अकेलेपन का शिकार लगता हैं। न चाहते हुए भी मिल रहा है सबसे, शायद सबको वो आम का आचार लगता हैं। अपनों के साथ भी अकेला है वो, शायद अपनों का भी किरायेदार लगता हैं। भूल जाने की बीमारी तो नहीं हैं उसे,मगर वो मुझे आदतन बीमार लगता हैं । हर शख्स में छिपा हैं "वो शख्स", ये तो किसी बीमारी का चुनावी प्रचार लगता हैं। कितनी आसानी से लिख दिया हकीकत को, "मोनिका" वो कोई गुलज़ार लगता हैं। सुना हैं वो दर दर भटक रहा हैं, वो शख्स मुझे पेशे से अखबार लगता हैं। - मोनिका वर्मा ©Monika verma #वो_शख्स #poetry_addicts #thoughts💭