आज सूख गया है वो और पड़पोते की बारी है न फल हैं देने को न फूलों की क्यारी है फिर भी वो बिना बोले तैयार है काठ अपना किसी छत को दे, और सींकों से कोई घोंसला बने एक सूखे पेड़ की नहीं कोई अभिलाषा है, हर पल छाँव देना ही उसे आता है ।। Part 2 of गाथा-ए-दरख़्त Click on #GathaEDarakht For more parts #सूखापेड़ #पेड़ #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi सूखा पेड़