Sorry यादों की बेड़ियों से मुझे घेरे हो कहा करते थे कि तुम मेरे हो आदत है तुम्हें जख्म अता करने की जख्म देते हो, फ़िर मरहम भी फेरे हो देखो छोड़ दो मुझे मेरे हालात पे और कितने मज़े लोगे हर बात पे जब सारी रात मै तड़पता रहा तरस नही आई मेरी काली रात पे दौलत देख लहजा बदल गया तुम्हारा इतना गुरूर ठीक नहीं औकात पे अभी बहोत उतार चढाव बाकी है दोस्त एक दिन लकीरें पक्ष में होंगी मेरे हाथ पे रिश्ते अब हमारे नदी के दो किनारे है कितने दूर अब खुशियों के तारे है रख दी है निशानीयों को झोले मे, ले जाओ गिफ्ट-विफ्ट , खत-वत, अंगूठी-वंगूठी सारे है #RDV19 #poetry #poetrycommunity #poet #writer #writing #poeticatma #nojoto #humanity #breakup #brokenheart #VikashVarnval