कोशिश ही नहीं की वापस भविष्य रूपी दरिया में, अपने ख़्वाहिश रूपी कश्ती को किनारा देने की, अब हिम्मत नहीं होती बार-बार नाकामी का सामना करने के बाद, दिल हार गया हम थक गए ज़िन्दगी के संघर्ष-पथ पर लड़ते-लड़ते, छोड़कर अब ईश्वर के हाथ जीवन की कश्ती अपनी,अब किनारे पर हम भी मायूस हो कर खड़े हो गए, अच्छा हो बुरा हो उसकी मर्जी हम तो ईश्वर पर अपने विश्वास के साथ दर पर उसके अर्जी लगा कर रह गए ♥️ Challenge-790 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।