कभी निकल जाता हूँ यूँही। उस पुराने ख्याल को टटोलने।। जहाँ कुछ सपने थे। कुछ बातें थी।। थोड़ा हल्का समां था। कुछ गुलाब की पंखुड़ियां थी।। कंधे पर सिर था। और होठो पर मुस्कान थी।। जहाँ मेरा साथ तो था। पर शायद तुम थोड़ी अकेली थी।। निकल जाता हूँ आज भी यूँही #sharma_g_ke_kalam_se