मुकद्दर है सिमट जाना आरज़ुओं का, कोई रास्ता ही नहीं, नायाब ये सलीका है, उन्हें भुलाने के लिए। वफ़ा का हमसे, कोसों तलक, कोई वास्ता ही नहीं, कामयाब ये तरीका है, दिल को अपने समझाने के लिए।। फरेबी इश्क की वकालत, बड़ा तड़पाती है, अच्छे अच्छों की नसीहत, ना काम आती है। अश्क भी साथ नहीं देते, तब निगाहों का, जब झूठे वायदों की क़यामत, सितम ढाती है।। खफा हैं सांसें, सारे अरमां लापता है कहीं, बस शिकायतें रह गईं, उस संगदिल को सुनाने के लिए। वफ़ा का हमसे, कोसों तलक, कोई वास्ता ही नहीं, हकीकतें ये कह गईं, दिल को अपने समझाने के लिए।। किसी को दिल में बसाने की, ना हिमाकत करना, सलाहें दिलजलों की अपनाने की, ना ख़िलाफत करना। तन्हाइयां बेहतर है, बेबस उम्र भर की रुसवाइयों से, हवा है दिल्लगी के ज़माने की, ना मोहब्ब्त करना।। हमारे आईनों का भी अब हमसे, कोई राब्ता ही नहीं, दिखाई नहीं देतीं हैं, वजह उनमें कोई मुस्कुराने के लिए। वफ़ा का हमसे,कोसों तलक, कोई वास्ता ही नहीं, सदाऍं यही कहतीं हैं, दिल को अपने समझाने के लिए।। ©Rahul Kaushik #shaayavita #muqaddar #Bewafai #bewafashayari #FakeLove #faramosh #dhokebaaz #kayamat