बड़ी बेदर्दी से बेखौफ़ होकर ज़िंदा शरीर को जलाया हैं रूह को कफ़स (पिंजरा) में जकड़ने का घोर प्रपंच और कहा द्रौपदी की जन्मभूमि में महाभारत की ललकार गूंजती हैं देश को चीरहरण के लहू से रंगने वाली नदियाँ और कहा चील को अक्सर हमने बंजर शाखाओ पे बैठे देखा हैं इंसान के ज़ुल्म को ताकने की इससे अच्छी जगह और कहा शर्मिंदगी से सन्नाटे का मातम छाया हुआ हैं इंसाफ की गुहार लगाती ऐसी चीख और कहा कुत्ते भी दरिंदो की हैवानियतो को बखूबी सूंग लेते हैं इस जहाँ में इंसान से बड़ा दरिंदा और कहा . #kyabaat #spokenstudios2