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मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है हुक़ूमत क

मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है
हुक़ूमत के इशारों पर तो मुर्दा बोल सकता है
यहां पर नफरतों ने केसे कैसे गुल खिलाएं हैं
लूटी इज्ज़त बता देगी दुपट्टा बोल सकता है
हुक़ूमत की तवज्जो चाहती है ये जली बस्ती
अदालत पूछना चाहे तो मलबा बोल सकता है
बहुत सी कुर्सियां इस मुल्क की लाशों पे रक्खी हैं 
ये वो सच है जिसे झुटे पे झुटा बोल सकता है

©naved Zaidi
  #खूनी सत्ता
nomanzaidi6348

naved Zaidi

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#खूनी सत्ता #शायरी

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