है अधूरा सा जीवन, अंत भी दूर है मुस्कुराने को हम, फिर भी मजबूर हैं मन मेरा चाहता, सिर्फ वनवास है मेरी तृष्णा का हल, नदियों के पास है मोह के सारे बंधन, हैं मनोहर बहुत मेरा चैन पर, पूर्ण सन्यास है ** पर न अपनो को मेरे, ये एहसास है अर्थ, पद और सुरक्षा ही, उन्हें खास है सांस में है पहाड़ों की ठंडी हवा मन में मेरे, मैं नदियों की कल-कल भी हूँ ** पर पराये से स्वप्नों में घुटता हुआ एक पुराना सा, मुर्दा सा दलदल भी हूँ #nojotohindi #bechaini #sanyaas #moh #daldal #parvat #nadi #me