ख़ौफ़-ए-जुदाई और उसपे दिल पूछे, के ज़िक्र हर लम्हात क़्यों नहीं करते, ख़ुद के ही सवालों का क्या दें जवाब, के उससे मुलाक़ात क्यों नहीं करते। ये जानते ही हो के कहर बरसायेगा उसका हुस्न, जब कभी उससे मिलोगे, पूछते हैं यार मेरे, फिर दिल को सँभालने कोई इंतज़ामात क्यों नहीं करते। ताकते रहते हैं बेसुध हुए, उसकी आँखों और उसके लबों की हरकतों को, कहते हैं सुनना पसंद है, जो पूछता है वो के ज़्यादा बात क्यों नहीं करते। कुछ और नज़दीक बैठेगा वो मेरे, जो चलेंगी हवायें साथ लेके ये बौछारें, समझ दिल की बात ये बादल कभी, बिन मौसम बरसात क्यों नहीं करते। रात गुज़रते दिन में बिछड़ जाता है, क़ुदरत से है बस इतनी सी दरख़्वास्त, जो डूबने को हो फ़लक का चाँद, तो फिर शुरू दूजी रात क्यों नहीं करते। - आशीष कंचन बात क्यों नहीं करते। #बातक्योंनहींकरते #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqbaba #ग़ज़ल #yqtales #yqlove Collaborating with YourQuote Didi