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मैंने शाम को शाम तक का वक्त दिया उसे खुद से वफाई क

मैंने शाम को शाम तक का वक्त दिया
उसे खुद से वफाई का एक और वक्त दिया
मुलाजिम हम नहीं तेरे दफ्तर में 
मैंने खुद से खुदाई को एक और वक्त दिया

अकेले तन्हाइयों में जिन्हें डर लगता है
उन्हें डर को भगाने का एक और वक्त दिया
तेरा रास्ता और मंजिल दोनों अलग है मुझसे
मैंने उसे रास्ते बदलने का एक और वक्त दिया

जहाॅं गिरना जरूरी नहीं गिराया जाना जरूरी है
मैंने उसे संभलने का एक और वक्त दिया
मंजिल हमारी रुसवाईयों पर जहाॅं खत्म होती है
मैंने उसे खुद से अलग होने का एक और वक्त दिया

©Hariom Pratap Singh #maime_sham_ko_aham_tk_ka_waqt_diya
मैंने शाम को शाम तक का वक्त दिया
उसे खुद से वफाई का एक और वक्त दिया
मुलाजिम हम नहीं तेरे दफ्तर में 
मैंने खुद से खुदाई को एक और वक्त दिया

अकेले तन्हाइयों में जिन्हें डर लगता है
उन्हें डर को भगाने का एक और वक्त दिया
तेरा रास्ता और मंजिल दोनों अलग है मुझसे
मैंने उसे रास्ते बदलने का एक और वक्त दिया

जहाॅं गिरना जरूरी नहीं गिराया जाना जरूरी है
मैंने उसे संभलने का एक और वक्त दिया
मंजिल हमारी रुसवाईयों पर जहाॅं खत्म होती है
मैंने उसे खुद से अलग होने का एक और वक्त दिया

©Hariom Pratap Singh #maime_sham_ko_aham_tk_ka_waqt_diya