Daughter तुम्हारा जाना नए बरस, नए कवि *तुम्हारा जाना* अभी तक तो तुम अटकते थे बोलने से दो बोल लेकिन अब अविराम झरते हैं तुम्हारे मुख से शब्दों के फूल अभी तक तो तुम लड़खड़ाते थे, गिर पड़ते थे लेकिन अब सध गए हैं तुम्हारे नन्हे कदम अभी तक तो तुम डरते थे छोड़कर जाने से मेरा आँचल लेकिन अब तुमने सीख लिया बाहर की दुनिया से ताल मिलाना आत्मविश्वास से भरा यह तुम्हारा किरदार तैयार है अब, इस दुनिया के लिए हे नन्हे फरिश्ते एक सुखद एहसास है, तुम्हारा जाना जाओ इस घरोंदे से बाहर अपनी एक पहचान बनाना। स्वरचित दीपाली पंत तिवारी 'दिशा' #हिंदीकविता #तुम्हाराजाना