बिगड़ते सुरो को मैं साज़ बनाता हूँ। मैं तुम्हारे कल को आज बनाता हूँ।। समंदर परखती होंगी कस्तिया। मैं डूबते नावों को जहाज़ बनाता हूँ।। कितना चलना है ,कितना मंज़िल है दूर । मैं मिट्टी से कोहिनूर बनाता हूँ।। तपते जीवन में चाँदनी रात बनाता हूँ । एक इंसान में पूरा राष्ट्र बनाता हूँ।। @gokul dedicated to all teacher.... #5sept #teacherday