अभी तो हमने मंजिल की ओर, अपने पहले कदम का आगाज किया है। अभी तो हमको न जाने कितनी, असफलताओं का स्वाद चखना बाकी है। अंधियारों से अब डरकर भागना नहीं है, खुद को ही रोशनी बना कर जलना है। अभी तो मैं रात का जुगनू हूं, आफताब की तरह आसमां में चमकना बाकी है। मुसलसल करना है प्रयास, अपनी मंजिल को पाने के लिए आगे ही बढ़ना है। अभी लक्ष्य निर्धारित किया है, अंजाम पाने के लिए इम्तिहान अभी बाकी है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-86 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।