ज़रूरतमंद Read in caption सोनिया जी और राधा जी बालकनी में खड़ी होकर बात कर रही थी, इस लॉक डाउन में एक यह बालकनी ही तो सहारा है ,किसी से बात करने का शाम को और सुबह के वक़्त मुलाकात हो जाती है वरना दिन भर घर में बैठे ऊब जाते हैं। वह दोनों अपने उस सहयोग के बारे में बात कर रही थी जो उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष में दिया । कि तब तक पुलिस का सायरन बजा और पुलिस वालों की गाड़ी आ गई दोनों आश्चर्यचकित होकर देख रही थी कि पुलिस अचानक कैसे हमारे मोहल्ले में तो सब ठीक है ,दोनों की नज़रें घूमी ,पुलिस वाले वर्मा दंपति के घर के अंदर जा रहे थे।वर्मा दंपति दोनों अकेले रहते थे इस घर में राधा जी और सोनिया जी के दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे कि आख़िर हुआ क्या है। थोड़ी देर बाद पुलिस घर से बाहर आई वर्मा जी की धर्मपत्नी के चेहरे पर कुछ शिकन लग रही थी।अभी तक सोनिया जी और राधा जी मामला नहीं समझ पा रही थी कि बात क्या है, जब पुलिस वालों ने पूरे मोहल्ले को इकट्ठा कर बुलाया तब जाकर बात समझ आई। दरअसल वर्मा जी की तबीयत नासाज थी इस कठिन वक्त में उनके बच्चे जो घर से बाहर हैं वह तो ना आ सके मगर पुलिस वाले उनका बेटा बनकर मदद कर रहे हैं।सोनिया जी के दिमाग में अभी भी पुलिस वाले के वह शब्द गूंज रहे थे जिसमें उन्होंने कहा कि पूरे मोहल्ले में 15 से 20 परिवार रहते हैं मगर किसी ने इनकी सुध नहीं ली क्या यही ही है आपका पड़ोसी धर्म। हम प्रधानमंत्री राहत कोष में 1000- ₹2000 देकर स्वयं को दानवीर कर्ण समझ लेते है मगर हमारे आस-पास कौन ज़रूरतमंद है इसका हमें ख़्याल तक नहीं। ठीक ही तो कह रहा था वह पुलिस वाला सोनिया जी अब अपना अंतःकरण टटोल रही थी... #yostowrimo #लघुकथाएँ #बालकनीकहानी #yqdidi