अब भी वो दिन याद है मुझको जब पहली दफा देखा था तुमको सर्दी की वो भरी दोपहरी तुम आयी जैसे धूप का इक टुकड़ा आया हो पहली बार होठों से तुम्हारे जब मैंने अपना नाम सुना था नर्म साँसों की तरह एहसास बहुत वो गुनगुना था वो सर्द दोपहरी आने से तुम्हारे पिघल गई थी तुम मेरे मन के पोर पोर में चॉकलेट की तरह से घुल गई थी..... #चॉकलेट_डे_स्पेशल