सोच कर निकले मेरी दुनिया हसीं होगी, यारों बाताऊं कैसे किस क़दर बेजा़र हुआ ا जाँए किस सिम्त हर तरफ़ मौका़ परस्त, सौदा मेरे अरमानों का सितम सौ बार हुआ ا कश्ती मेरी डुबा के जब रवाना हुए मुसाफिर, मौका़ मिला मुझको ख़ुद का सालार हुआ ا कमाने की होड़ मैं हम उलझे इस क़दर, क्या ख़बर किसको कब जुम्मा कब इतवार हुआ ا Bezaar- unhappy, simt- direction, musafir- traveller, saalaar- captain #yqdidi #yqbhaijan #yqwriters #yqquotes #yqlife #yqtravel #yqtales #yqhindi