शायद तुम देखोगे शाम की हवा के साथ उड़ते एक उल्लू को शायद तुम सुनोगे कपास के पेडं पर उसकी बोली घासीली जमीन पर फेंकगा मुट्ठी भर -भर चावल शायद कोई बच्चा-उबले हुए ! देखोगे,रूपसा के गंदले-पानी में लौटकर आऊँए फिर