ख़ुशनुमा मौसम "गुलाबों" की महक छाई थी सुर्ख लाल जोड़े में संग मेरे तुम जब आई थी खुशरंग "फिज़ा" और रंगीन सब यह नजारे थे इस दरमियाँ जब "दिल से दिल" मिले हमारे थे इस जहां में "वक़्त" का अज़ीब फ़ेर है "कृष्णा" चंद लम्हों को खुशियाँ, फ़िर ग़म का दौर कृष्णा बगिया सजी खुशियों के "सुमन" खिल आए थे सूखी डाली इससे खुशियों के फूल बिखर रहे थे ♥️ Challenge-558 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।