सुनैना:-आप हमारे सिर पर अपना हाथ धर के सौगंध खाइए कि आज आप मेरी फरियाद अवश्य पूरी करेंगे,नहीं तो आप जैसों का क्या भरोसा?बात कहते ही पलट जाते हैं|हालात की मार जब व्यक्ति पर पड़ती है तो औरो की बात क्या कहें?बच्चे-बच्चे का विश्वास उस पर से उठ जाता है, पर मेरी हालात इतनी भी गई गुजरी नहीं थी परंतु हो सकता है कंजूसी के कारण ये सब सुनने को मिल रहा हो| बिटिया की आंखों से लगातार बहती अश्रुधारा मुझसे देखी नहीं जा रही थी,मैं बिना वक्त गंवाए उसके सिर पर हाथ रखकर सौगंध खाया कि- तुम्हारी फरियाद अवश्य पूरी करूंगा चाहे खुद को ही बेचना पड़े| उसका मुरझाया चेहरा अचानक फूलों सा खिल उठा उदास मुखड़े को जैसे आनंद के भाव से कोई भर दिया हो ऐसा खुशी के मारे सहसा उछल कर कहने लगी- सुनैना:-बाबूजी पिछले कई दिन से दालमोट चबाने का मन है,पर आज तक मन को मैं समझाती रही,परंतु ये कमबखत आज समझने को राजी नहीं होता| तो तुम्हें दालमोट चाहिए| सुनैना:-हां! #राष्ट्रवादी_युवा_कवि_सुधांशु_निराला# मेरा ₹100 कहानी का दूसरा अंश