"... कुछ भी.." तिरस्कार न कर यूँ अपने एहसासों का, बोल दिया कर 'कुछ भी', ऐतबार न कर झूठे रिवाज़ों का| गुप्त रख तु सोच न क्या पाएगा, विषाद से ही तो भर जाएगा, विलक्षण है तु आह्वान अब कर ले, बोल दिया कर 'कुछ भी', दृष्टिकोण इस दुनिया के तु बदल दे| इफ्तिखार न कर यूँ ऐरे-गैरे सिद्धांतों का, बोल दिया कर 'कुछ भी', ऐतबार न कर झूठे रिवाज़ों का| अंतर्द्वंद में फंसा तु अगर कैसे खुद में निखार लाएगा, स्पर्श कर तु खुदको, अंतर्मन तेरा चैतन्य हो जाएगा, महत्वाकांक्षाओं के संग तु अब अपने साक्षात्कार कर ले, बोल दिया कर 'कुछ भी', हर शख़्स की तु सोच बदल दे| सरोकार न कर यूँ दिखावे वाले उनके वादों-इरादों का, बोल दिया कर 'कुछ भी' ऐतबार न कर झूठे रिवाज़ों का| इफ्तिखार-honour, respect Inspiration taken from #afsun to write on this topic.. #ufvoices #vineetvicky #marchdiaries #yqdidi #कुछभी #hindipoetry #speakup