कलम कातिब हुन मैं, मेरा अबे-आईना है मेरी कलम। बहता दरया हुन मैं, समेटता है जो मुझे वो साहिल है मेरी कलम। शायरों के अंजुमन मैं अली तो कईं है, मगर अलग पहचान रखती है मेरी कलम। मेरे लबों से जो बयां न हो, वो जस्बात लिखती है मेरी कलम। लफजो से तो कईं खेलते है, यूँ ही नही किसी के भी सर ताज रखती है कलम। #शायरी #shayari #poetry #कविता #कविशाला #kavishala #उर्दू #हिंदी #hindi #अंजुमन #पहचान #कातिब #ताज #सरताज #लब