कल चले ही तो जाओगे तन्हा कर के मुझे याद बहुत आओगे लम्हा बन के मुझे आबशार हो तुम मैं आब-ए-रवाँ हूँ मैंने तो तुम्हें "ख़ुदा" बना दिया तुम चले जाओगे "बन्दा" करके मुझे पता भी न मालूम है तुम्हारे शहर का मुझे रात भर सो न पाऊंगा रिहा करके तुझे तुझसे मिला तो था पर तुझे बोसा न दिया मलाल रह जाएगा ये घर करके मुझे "गौरव" तू फिर टूट गया एक दफ़ा वो चला गया अश्क़-ए-ग़म देकर तुझ ©Gourav (iamkumargourav) #बिछड़कर