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काँच की तरह चमकें बूँदें मेघा बरसे जब छम छम नींद क

काँच की तरह चमकें बूँदें
मेघा बरसे जब छम छम
नींद कहाँ उड़ गई है रे सजना
तड़पे इस सावन में मेरा तन मन

भीगी भीगी सी धरती पर
पग रख कर जब चलूँ रे सजना
मेरी प्यासी अखियों में फिर से
तेरा प्यार उमड़ आए रे सजना

चमकती रोशनी के संग मेरे
दिल की धड़कन धड़के रे सजना
आग बरसती है मेरे रोम रोम से
जब गरजती है यह मेघा ओ सजना

पिया बिना यह सावन फीका
अब लागे मुझको जैसे सूनी गलियाँ
चले आओ इस सावन के संग
बीत ना जाएँ कहीं यह रतियाँ Pic : Self designed

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काँच की तरह चमकें बूँदें
मेघा बरसे जब छम छम
नींद कहाँ उड़ गई है रे सजना
तड़पे इस सावन में मेरा तन मन

भीगी भीगी सी धरती पर
पग रख कर जब चलूँ रे सजना
मेरी प्यासी अखियों में फिर से
तेरा प्यार उमड़ आए रे सजना

चमकती रोशनी के संग मेरे
दिल की धड़कन धड़के रे सजना
आग बरसती है मेरे रोम रोम से
जब गरजती है यह मेघा ओ सजना

पिया बिना यह सावन फीका
अब लागे मुझको जैसे सूनी गलियाँ
चले आओ इस सावन के संग
बीत ना जाएँ कहीं यह रतियाँ Pic : Self designed

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sunilmadaan7788

SUNIL MADAAN

New Creator