आई भोरे-भोर गामक ओर की गेलऊ सभ बदलल बदलल लगी रहल छल ना क्का केे दलान पडक ठहक्का सुनलऊ ना मचान पर खेलाइत बच्चा देखलऊ बीखरल सभ किछ लगी रहल छल लूप्त सभ किछ भ रहल छल वो अपन माटी बिखरी रहल छल सभ शहरी जीवन जीव रहल छइथ गामक सभ्यता स बीछरइ रहल छइथ ना दाई केे अचार देखलऊ ना बथुआ केे ओ साग देखलऊ ना बिरिया ओ सुखाइत देखलऊ अपन ने ओ गाम देखलऊ हाट ने ओ बाट देखलऊ ना जट जटिन के नाच देखलऊ ना साझक ओ सुरुक्का चाय देखलऊ ना मंत्रक ओ बौछार देखलऊ अपन ने ओ गाम देखऊल....२