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अक्श मे उतारता हूँ, हर गली नुक्कड को, मेरी आवारगी,

अक्श मे उतारता हूँ, हर गली नुक्कड को,
मेरी आवारगी, का भी एक मकसद हैं।
मत सोचना भटक रहा हूँ मै बिलावजह,
आजाद हूँ खुद में, नहीं कोई मेरी हद हैं।

©Kamlesh Kandpal
  #aawargi