तुम.. बैठी मैं कब से , काग़ज़ ताक रही हूं अटके पड़े ज़ेहन में लफ्ज़ कुछ उफन रहे हैं सीने में... पर नहीं जम रहे वे पन्नों पर, फिसल फिसल भाग रहे हैं.. रह-रह कर बस एक तेरे नाम पे अटक जाते हैं... चल मुकम्मल करती हूं सिर्फ और सिर्फ .. 'तुम' लिखकर.... #तुम #जे़हन #यूंही_कभी #एकख्याल #तूलिका