या किस्सा है उन दिनों का जब देश पर अंग्रेजी हुकूमत छाई थी जब भारत माता को भी अपने वीर सपूतों की याद आई थी maa ne v कहा कोई तो छुड़ाओ मुझे इस गुलामी से अब वह भी इससे तंग आई थी ज्यादा देर ना हुई अब वह शाम भी होने आई थी दिन था 28 चढ़ा सितंबर का महीना था हिंदुस्तान के banga मैं सरदार किशन और विद्यावती के घर बजा जोर का डंका था जन्म हुआ एक वीर योद्धा का जिसका नाम भी भगता था जिसके अंदर बचपन से ही भरा देश के लिए जोश और जज्बा था बचपन से ही जज्बा था कि अब तो भारत माता को आजाद करआऊंगा चाहे क्यों ना अब इसके लिए सूली पर चढ़ जाऊंगा हुई दोस्ती दो और वीरों से जिनका नाम सुखदेव और राजगुरु था अब बस तीनों ने ठानी एक ही वाली थी अब तो बस अंग्रेजों को याद दिलानी उनकी नानी थी तीनों खूब लड़े और बहाए अपना खून जैसी बहती गंगा हो फिर वह एक काली रात आई तीनों को अंग्रेजी हुकूमत के पास लाई..... #BhagatSinghThePrideOfINDIA