समस्त गोप मोहनं, हृदम्बुजैक मोदनं, नमामिकुंजमध्यगं प्रसन्न भानुशोभनम्। निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं, रसालवेणुगायकं नमामिकुंजनायकम्।।७।। भावार्थ–समस्त गोपों को आनन्दित करने वाले, हृदयकमल को प्रफुल्लित करने वाले, निकुंज के बीच में विराजमान, प्रसन्नमन सूर्य के समान प्रकाशमान श्रीकृष्ण भगवान को मेरा नमस्कार है। सम्पूर्ण अभिलिषित कामनाओं को पूर्ण करने वाले, वाणों के समान चोट करने वाली चितवन वाले, मधुर मुरली में गीत गाने वाले, निकुंजनायक को मेरा नमस्कार है। #janmasthami #जन्माष्टमी