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ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी, काँटों का पता ही न चला। ज़

ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी,
काँटों का पता ही न चला।
ज़िन्दगी तो काँटों से ही थी,
ग़ुलाब सूखे तो पता चला।। ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी,
काँटों का पता ही न चला।
ज़िन्दगी तो काँटों से ही थी,
ग़ुलाब सूखे तो पता चला।।

#HappyRose
ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी,
काँटों का पता ही न चला।
ज़िन्दगी तो काँटों से ही थी,
ग़ुलाब सूखे तो पता चला।। ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी,
काँटों का पता ही न चला।
ज़िन्दगी तो काँटों से ही थी,
ग़ुलाब सूखे तो पता चला।।

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