ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी, काँटों का पता ही न चला। ज़िन्दगी तो काँटों से ही थी, ग़ुलाब सूखे तो पता चला।। ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी, काँटों का पता ही न चला। ज़िन्दगी तो काँटों से ही थी, ग़ुलाब सूखे तो पता चला।। #HappyRose