Nojoto: Largest Storytelling Platform

हर तरफ शोर बहुत अब सन्नाटा चाहूँ मैं बिखरे हर लम्

हर तरफ शोर बहुत अब सन्नाटा चाहूँ 
मैं बिखरे हर लम्हों को सिमटना चाहूँ

अक्स भी मेरा मुझसे सवाल करता है
कि हर सवालों का जवाब ढ़ूंढ़ना चाहूँ

मुस्कुराहट भी भुल गई अब मुस्कुराना 
इसके यूँ होने का सबब जनना चाहूँ

कैसी है आग बिन जले ही जला रही
इसकी लपटों से खुद को बचाना चाहूँ

पाक साफ़ तो कोई नहीं यहाँ ज़हाँ में
फिर किस से मैं यूँ नजरें चुराना चाहूँ

© रविन्द्र कुमार भारती ग़ज़ल- हर तरफ शोर बहुत अब सन्नाटा चाहूँ 

#rabindrakbharti #hindishayari #hindighazal #hindipoetry 
#poem
हर तरफ शोर बहुत अब सन्नाटा चाहूँ 
मैं बिखरे हर लम्हों को सिमटना चाहूँ

अक्स भी मेरा मुझसे सवाल करता है
कि हर सवालों का जवाब ढ़ूंढ़ना चाहूँ

मुस्कुराहट भी भुल गई अब मुस्कुराना 
इसके यूँ होने का सबब जनना चाहूँ

कैसी है आग बिन जले ही जला रही
इसकी लपटों से खुद को बचाना चाहूँ

पाक साफ़ तो कोई नहीं यहाँ ज़हाँ में
फिर किस से मैं यूँ नजरें चुराना चाहूँ

© रविन्द्र कुमार भारती ग़ज़ल- हर तरफ शोर बहुत अब सन्नाटा चाहूँ 

#rabindrakbharti #hindishayari #hindighazal #hindipoetry 
#poem