आशा - मैं मेरे बचपन मे फिर से लौट जाऊँ लेट माँ की गोद में माँ का सारा प्यार ले आऊँ बैठ बापू के कंधे फिर सारा गांव घूम मैं आऊँ मैं मेरे बचपन मे फिर से लौट जाऊँ कभी छिप जाऊँ दादी के पिछे तो कभी पूरा आँगन दौड़ आऊँ तो कभी लेकर बाबा जी की लाठी मैं बन बाबा घर तक जाऊँ कभी खेलू बहुत धूप मे तो कभी छांव की ओट ले आऊँ मैं मेरे बचपन मे फिर से लौट जाऊँ कभी चूरन की गोली कभी संतरे वाले कंपट दाढ़ी वाले बाबा की दुकान से लाऊँ कभी लड दीदी से माँ को शिकायतें सुनाऊँ अब आखिर वो गुजारा बचपन कहाँ से मैं लाऊँ काश मैं मेरे बचपन मे फिर से लौट जाऊँ ©Raghavendra Singh #bachapan#raghawquote