“महिला उत्पीड़न” चिंतन अनुशीर्षक में ईश्वर ने मानव जाति में पुरुष और महिला दोनों को बराबर का दर्जा दिया। लेकिन वक्त के साथ सदियों से इतिहास के पन्नों से ये जगजाहिर हुआ कि कैसे पुरुष अपने पुरषार्थ के दंभ में महिलाओं को उपेक्षित कर उत्पीड़ित करने लगे। कभी कभी एक महिला ही दूसरे महिला का उत्पीड़न करने लगती है। आज घर, मोहल्ला, कॉलोनी, ऑफिस हर जगह हर समय एक महिला का उत्पीड़न होता है। अभी मौजूदा हालात बता रहें हैं कि 2021 में लगभग 46 प्रतिशत महिला उत्पीड़न में इज़ाफा हुआ है जो बहुत ही ज्यादा का चिंता का विषय और समाज के लिए शर्मनाक है। समाज में कितने प्रकार के उत्पीड़न होते थे जैसे बाल विवाह, शिक्षा का अधिकार ना देना, विधवा का पुनर्विवाह ना होना, देवदासी प्रथा इत्यादि ये सब इतिहास के पन्नों में दर्ज़ महिला उत्पीड़न हैं। आज के वर्तमान में एक महिला को अभी वो अधिकार नहीं मिला है जो एक पुरुष को हासिल है। आज भी बाल मजदूरी, बलात्कार, दहेज प्रथा, आदि मौजूद हैं जिनसे हम तभी छुटकारा पा सकते है जब ख़ुद एक महिला अपने लिए आवाज़ उठाएगी और समाज के शिक्षित वर्ग, देश, कानून और सरकार सब मिलकर समाजिक चेतना लायेंगे। तब जाकर एक सुशिक्षित और सभ्य समाज का सपना साकार कर पाएंगे। #kkpc23 #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #similethoughts #महिला उत्पीड़न