कभी मां तो कभी बहन , कभी पत्नी तो कभी बेटी , का किरदार निभाती है सभी की जिमेदारियो का बेढ़ा ढोती है पैसे , जेवर किसी से कुछ न चाहती है प्यार और सम्मान की वह भूखी है मनुष्य की पीढ़ियों को आगे बढ़ाती है ना इस घर की ना उस घर की सभी के लिए पराई होती है कभी मां तो कभी बहन , कभी पत्नी तो कभी बेटी , का किरदार निभाती है यही तो एक औरत होती है— % & एक औरत का जीवन चक्र ... #औरत_एक_रूप_अनेक #औरत_का_अस्तित्व #औरत_का_मान_सम्मान #औरत_की_रचना