लफ्ज ओ दराज़ गर निकले तो रोका न करो। तेरे रूह से लिपटीं गर मेरे इश्क़ की बूह ए बारियां तो रोका न कर। बेकस तेरे ख्यालों को मैं अपने रुख़सार पे लगाने आई हूँ, गर चढ़े ये रंग तो चढ़ने से न रोका करो। मेरे जे़हन में हबाब सा उठता इश्क़ गर नजरों में छलक पड़े तो रोका न करो। लफ्ज़ ओ दराज़ गर निकले तो रोका न करो #loveexpression