ओ! प्रियवर मेरे प्राण नाथ, तुम हो मेरे उत्पत्ति साधक प्रिये, तुमसे ही आरंभ सारा, तुम हो मेरे अंत प्रिये ।। ओ! प्रियवर मेरे प्राण विधाता, तुम हो मेरे सर्वस्व प्रदाता प्रिये, तुमसे ही संकल्प सारा, तुम हो मेरे विकल्प प्रिये ।। ओ! प्रियवर मेरे प्राण पालक, तुम हो मेरे जगत संचालक प्रिये, तुमसे ही मै राधिका प्यारी, तुम हो मेरे कृष्ण मोहन प्रिये ।। #जरा_सा_इश्क़_में हे! मोरे कान्हा तुझमें ही सब कुछ मेरा.. मुझमें रहा न कुछ भी अब मेरा.. यह कविता हमारी प्यारी जीजी माँ Srishti Singh के सानिध्य के फलस्वरूप हैं.. इन्हीं की एक अत्यंत उत्कृष्ट एवं अनमोल कविता को पढ़कर हमें यह लिखने का विचार आया..🙌🙇🙏 #yqdidi #yqbaba #yqhindi #yqquotes #yqthoughts #yq #bestyqhindiquotes