यों तो आदम के ज़माने से चोटे खाई है किसका गुनाह और किसकी बेगुनाही है क़ुदरत जो बरक़त है कहर बन आई है सख्ते में आदमियत की परछाईं है मुनासिब है के अब भी होश आ जाए अब बाक़ी रही जाने कौन सी तबाही है ये वहशत! ये इंसानियत की गवाही है क़यामत है वक़्त! या ख़ुदा दुहाई है #toyou #yqfate #yqnature #yqhumanity #yqcalamity #yqhope