फर्क इतना क्यों करते हो, इंसानों-इंसानों से। चाहत मिलती नहीं यहाँ, किसी को भी अंजानो से। चंद कोशिशें तुम भी कर लो, बन जाओ इंसान कभी। क्यूँ ढूंढते हो आजकल तुम, इंसानियत हैवानों से। बेहतर होगा तुम भी समझो, जीवन का दस्तूर यहाँ। कोई किसी का होता नहीं, जीवन के पैमानों से। कैफियत भी बदल देते है, अक्सर ये लोग यहाँ। क्या उम्मीद लगाओगे तुम, आजकल इंसानों से। भूलकर भी साथ न देना, 'अभिलाष' तू यहाँ किसी का। अहसान भी भुला देते हैं, लोग यहाँ फर्जी अफसानों से। फर्क इतना क्यों करते हो #मेरी_ख्वाहिश #insaniyat #jeevan #kaifiyat #anjaan #insaan #yqdidi #yqbaba