ऐसा कोई है, जिसे कल का भय सताता नहीं भागती-दौड़ती दुनिया में, किसे अकेलापन रुलाता नहीं लाख आईने में खुद को निहार लो, जब तक कोई तुम्हें ना निहारे, यहां कोई मुस्कुराता भी नहीं ऐसा कोई है, जिसे कल का भय सताता नहीं कागजों में सिमटी से जिंदगी और असफलताओं का बोझ अपनों को भी अब रास आता नहीं। ज्ञान की मूल और ज्ञान की परीक्षा ज्ञानी जाने भी उसे कैसे, यहां जो धन कमाता नहीं ऐसा कोई है, जिसे कल का भय सताता नहीं।। ©Ajeet Kumar #nojoto #unemployment #ajitfmhs #viralkalakar #hindipoetry #Past