फाँसीयां हुई थी, मन क्रुद्ध हुआ था, बगावत हुई थी, फिर युध्द हुआ था, चली जो गोलियाँ वो सीने पर खाई थी, बहा था लहू तब स्वतन्त्रता आयी थी । फाँसीयां हुई थी, मन क्रुद्ध हुआ था, बगावत हुई थी, फिर युध्द हुआ था, चली जो गोलियाँ वो सीने पर खाई थी, बहा था लहू तब स्वतन्त्रता आयी थी । #nagvendrasharma #india #freedomfighters #saheed #indianlove #bharat #bhagatsingh #chandrashekharazad