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**हर रोज़ खुद को मैं खुद से छुपाकर उठती हुं चेहरे

**हर रोज़ खुद को मैं खुद से छुपाकर उठती हुं
चेहरे पर मुस्कान को सजाकर उठती हुं
बेटी हुं बहु हुं पत्नि हुं माँ हुं खुद को सब समझाकर उठती हुं
ख़्वाब भरे हैं आँखों में मेरे ,मैं उन्हें तकिये के नीचे दबाकर उठती हुं
कर्तव्य का ताज सजा रहता है मेरे दिमाग पर
दिनभर के सारे काम की लिस्ट बनाकर उठती हुं
निभाना पड़ेगा आख़िरी सांस तक गृहणी का कर्तव्य, खुद को ये समझाकर उठती हुं
मेरे सपने सिर्फ मेरे अपने हैं इनको सबसे छुपाकर उठती हुं
हर किसी को खुश रख सकुं इस आशा से चेहरे पर कई नक़ाब लगाकर उठती हुं**..!!NAJ📝 #NAJ
**हर रोज़ खुद को मैं खुद से छुपाकर उठती हुं
चेहरे पर मुस्कान को सजाकर उठती हुं
बेटी हुं बहु हुं पत्नि हुं माँ हुं खुद को सब समझाकर उठती हुं
ख़्वाब भरे हैं आँखों में मेरे ,मैं उन्हें तकिये के नीचे दबाकर उठती हुं
कर्तव्य का ताज सजा रहता है मेरे दिमाग पर
दिनभर के सारे काम की लिस्ट बनाकर उठती हुं
निभाना पड़ेगा आख़िरी सांस तक गृहणी का कर्तव्य, खुद को ये समझाकर उठती हुं
मेरे सपने सिर्फ मेरे अपने हैं इनको सबसे छुपाकर उठती हुं
हर किसी को खुश रख सकुं इस आशा से चेहरे पर कई नक़ाब लगाकर उठती हुं**..!!NAJ📝 #NAJ
netrajha3331

Netra Jha

New Creator