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सादगी उसकी सच मानों, सच लगे जरा झुक कर बोले तो झूठ

सादगी उसकी सच मानों, सच लगे
जरा झुक कर बोले तो झूठ भी सच लगे

उसे इल्म नही के कितना प्यासा हूँ मै
कोई समझाओ उसे केे, समंदर से प्यास कैसे बुझे

सच है के करीब बहुत थे, बस छूने की मनाही थी
कोई समझाओ उसे के, बिन छुए ये आग कैसे बुझे #nojotoHindi #writing #original
सादगी उसकी सच मानों, सच लगे
जरा झुक कर बोले तो झूठ भी सच लगे

उसे इल्म नही के कितना प्यासा हूँ मै
कोई समझाओ उसे केे, समंदर से प्यास कैसे बुझे

सच है के करीब बहुत थे, बस छूने की मनाही थी
कोई समझाओ उसे के, बिन छुए ये आग कैसे बुझे #nojotoHindi #writing #original