अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा ! कि हमारे दरमियां क़ुछ रहेगा , चाहे वो फासला ही सही। मैं अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठी हूँ कबसे, नसीब का लिखा मिल जाएगी वो रब से, मेरे बटुए में तुम पाओगे नोट खुशियों के, मैं सब चिल्लर उदासी के एक अलग बटुए में रख दी हूँ कबसे।। #वफ़ा