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ये असमानता के बीज बोकर,क्या हम पाएंगे। दिनकर के जम

ये असमानता के बीज बोकर,क्या हम पाएंगे।
दिनकर के जमीं पर बैठकर,कब हमसब ऊंचा सोच पाएंगे।
कितने दिनों के बाद कैंपस में, किलकारियां गूंजी हैं। क्या इसे भी हमसब लड़ते झगड़ते बिताएंगे।
ज़रा से वर्चस्व के लिए, हमसब आक्रोश के अग्नि में जल रहे है।
क्या इस आक्रोश में, हमसब इंसानियत को भूल जायेंगे।
बड़े नारीवादी बनते फिरते हो तुम, और लिंग भेद के समर्थन भी करते हो।
 क्या इस बात को आपसब तर्क में उतार पायेंगे।

©Ravish #नारीवादी
ये असमानता के बीज बोकर,क्या हम पाएंगे।
दिनकर के जमीं पर बैठकर,कब हमसब ऊंचा सोच पाएंगे।
कितने दिनों के बाद कैंपस में, किलकारियां गूंजी हैं। क्या इसे भी हमसब लड़ते झगड़ते बिताएंगे।
ज़रा से वर्चस्व के लिए, हमसब आक्रोश के अग्नि में जल रहे है।
क्या इस आक्रोश में, हमसब इंसानियत को भूल जायेंगे।
बड़े नारीवादी बनते फिरते हो तुम, और लिंग भेद के समर्थन भी करते हो।
 क्या इस बात को आपसब तर्क में उतार पायेंगे।

©Ravish #नारीवादी
ravikumar7073

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