Writer mr Vivek Kumar Pandey "अब ना में हुं ना बाकी है ज़माने मेरे , फिर भी मसहुर है शहरों में फंसाने मेरे, जिन्दगी है तो नये जख्म भी लग जायेंगे, अब भी बाकी है कइ दोस्त पुराने मेरे."। #forfriendship shayri