जब वो सूरज अपने मक़ाम-ए-उरूज़ होता है, तब करोड़ों जुगनू,तारा अपना वजूद खोता है। तो क्यूँ ना सूरज की तरह ही जगमगाया जाय, और सारे आलम मे अब रौशनी लुटाया जाय। ©Kalakar Ambuj Rai #shyari #Ambujrai #New #Morning