तुम हो कोण…?? तुम किरण हो, किसीके आस की, या ओ सूरज बन, किसीका आधार हो... तुम आलाप हो, किसी राग का, या शब्द हो, किसी नज्म के… क्या तुम कश हो, किसी हुक्के की क्या नशीली कोई, पुरानी शराब हो…. क्या ओ बून्द हो, सुबह के ओस की या फिर छलक उठी, हमारी आँखे हैं… तुम जो हँसते हो, यूँही बे मतलब का, क्या रात के, टिमटिमाते तारे हो….. तुम्हारी आँखे है, या कोई समुंदर? जो, समाए बैठे हो, किसी राज को... पूनम का जो तुम, पूरा चाँद हो दाग़ भी अपने, कभी न छिपाते हो…. क्या तुम पुस्तक हो मेरा पसंदीदा कोई, जिसके पन्ने तक, हमसे वाकिफ है... क्या तुम #रूमी हो जिसके साथ हमने, गुदगुदाए हुये कई राज हैं… क्या हम ओ है जिन्हें पुराणों मैं, कृष्ण और, कहते राधा है… तुम हो कौन…??, यूँ जो जताते हो हक कोई दोस्त हो… या पुराना प्यार है.. कोई दोस्त हो… या पुराना प्यार है..