ना मिलती है कोई जगह, मेरी तन्हाईयों को छुपाने की, ना ही दिखती है कोई राह, दिल की कश्मकश को मिटाने की। मेरी खुशियां और मेरे सुकून के, सारे रास्ते तूने छीन लिए, जाये तो अब जाएँ कहाँ, इन बहते हुए आंसुओं को छुपाने। सुबह आँखे खुलते ही तेरी याद मुझे सताए, दिन में लोगों के सवाल मुझे मारे, शाम होते ही सताने लगता है अंधेरे का डर, क्युकी रात की तन्हाईयां भी मुझे पल पल मे मारे। आज फिर रहा हूंँ में अकेला, दुनिया के इन अंधेरे गलियारों में, तेरी यादें ना ही चैन से मुझे जीने देती है, ना ही चैन से मुझे मरने देती है। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-945 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।